कानूनी कार्यवाही
डिस्क्लेमर: इस गाइड का मकसद पेशेवर सहायता, सलाह, या इलाज करना नहीं है. यह गाइड किसी भी रूप में उस प्रक्रिया की जगह नहीं ले सकती.
ट्रिगर की चेतावनी: ट्रिगर शब्द का मतलब है ऐसी कोई बात या घटना, जो किसी चीज़ का नकारात्मक कारण बन सकती है. इस टूलकिट में कुछ शब्द ऐसे हैं जो यौन हिंसा पीड़ितों के लिए दुखद हो सकते हैं यानी उनके लिए ट्रिगर का काम कर सकते हैं. इसका मतलब है उन शब्दों या वाक्यों को पढ़ने से पीड़ित या तो असहज महसूस कर सकते हैं या फिर चिंतित हो सकते हैं. ये ट्रिगर उन्हें खराब लगने वाली स्मृतियों में वापस ले जा सकते हैं. इस टूलकिट को पढ़ते समय अगर किसी को यह अनुभव होता है, तो एक ग्राउंडिंग एक्सरसाइज़ के ज़रिए वो तुरंत बेहतर महसूस कर सकते हैं.
भारतीय दंड संहिता से जुड़ी एक ज़रूरी जानकारी: यह याद रखना ज़रूरी है कि बलात्कार, यौन हिंसा या यौन दुर्व्यवहार की शिकार केवल महिलाएं ही नहीं होती हैं, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में बलात्कार को खासतौर पर औरतों के खिलाफ अपराध के रूप में दर्ज और संबोधित किया गया है. यह सेक्शन कानून और उसके प्रावधानों को जस का तस सामने रखेगा. भारतीय दंड संहिता में बलात्कार के अलावा, यौन उत्पीड़न के दूसरे तरीकों को भी अपराध के रूप में दर्ज किया गया है.
अपराध दर्ज करवाना
हम समझ सकते हैं कि यौन हिंसा के मामले को दर्ज करवाना यानी पुलिस जांच के लिए आगे आना एक मुश्किल और बेहद निजी मामला हो सकता है. इस सेक्शन के ज़रिए हम आपको मामला दर्ज करवाने की प्रक्रिया और सामने आने वाली संभावित चुनौतियों के बारे में जानकारी देंगे ताकि आप उचित फैसला कर सकें.
किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए क्या प्रक्रिया है?
पहला चरण: प्रथम सूचना रपट यानी एफ़आईआर दर्ज करना
दूसरा चरण: मेडिकल जांच करवाना तीसरा चरण: वकील तय करना चौथा चरण: कोर्ट की प्रक्रिया |
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