Medical FAQs – Hindi

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मेडिकल सहायता और जांच

डिस्केमलर: ये गाइड किसी भी तरह की प्रोफेशनल मदद, सहयोग, सलाह, दि शा निर् देश और नि वारण की जगह नहीं इस्तेमाल की जानी चाहि ए.

ट्रिगर की चेतावनी: ट्रिगर शब्द का मतलब है ऐसी कोई बात या घटना, जो कि सी चीज़ का नकारात्मक कारण बन सकती है. इस टूलकि ट में कुछ शब्द ऐसे हैं जो यौन हिंसा पीड़ितों के लिए दुखद हो सकते हैं यानी उनके लिए ट्रिगर का काम कर सकते हैं. इसका मतलब है उन शब्दों या वाक्यों को पढ़ने से पीड़ित या तो असहज महसूस कर सकते हैं या फिर चिंतित हो सकते हैं. ये ट्रिगर उन्हें खराब लगने वाली स्मृति यों में वापस ले जा सकते हैं. इस टूलकि ट को पढ़ते समय अगर कि सी को यह अनुभव होता है, तो एक ग्राउंडिंग एक्सरसाइज़ के ज़रिए वो तुरंत बेहतर महसूस कर सकते हैं.

अपनी आँखें बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें. अपने आप को बताएं कि आप सुरक्षित हैं और आप ठीक हैं. अपनी सांस का इस्तेमाल, मौजूदा समय के बारे में सोचने और इस समय में खुद पर ध्यान केंद्रित करने के लिए करें. ऐसा आप जितनी बार करना चाहें कर सकते हैं, या नियमित अंतराल पर करें. यह ज़रूरी नहीं आप इस टूलकि ट या गाइड को खुद पढ़ें. आप ऐसे कि सी व्यक्ति के साथ बैठकर इसमें लिखी जानकारी को समझ सकते हैं जो आपके करीब हो और आपके लिए विश्वसनीय हो.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मेडिकल जांच क्यों ज़रूरी है? ये मुझे कैसे मदद करेगी?
मेडिकल जांच कराने के कुछ ज़रूरी कारण हैं:

  • आपका स्वस्थ और ठीक होना सबसे बड़ी ज़रूरत है.
    • डॉक्टर किसी भी शारीरिक चोट (कटना या रगड़ लगना) के इलाज में मदद कर सकता है
    •  डॉक्टर एसटीआई, गर्भावस्था, एचआईवी, और हेपेटाइटिस बी के लिए प्रोफिलैक्सिस (यानी ऐसी कोई दवा या इलाज जो आपको किसी संभावित बीमारी से बचाने में कारगर हो) दे सकते हैं
    •  मेडिकल जांच आपको कानूनी मदद, काउंसलिंग, सरकारी या गैर-सरकारी संस्थाओं के बारे में जानकारी और आपकी मदद के लिए उपयुक्त एजेंसियों से संपर्क का ज़रिया बनती है
  • जांच के बाद डॉक्टर आपके शरीर पर मौजूद यौन हिंसा से जुड़े सबूतों को इकट्ठा कर संभाल कर रख सकते हैं जो पुलिस की जांच और कानूनी प्रक्रिया में मददगार साबित हो सकते हैं.

अगर मैं मामले की रिपोर्ट लिखवाना नहीं चाहता/चाहती क्या तब भी मुझे मेडिकल जांच करवाने की जरूरत है?
हालांकि अपराध की रिपोर्ट लिखवाने के लिए मेडिकल जांच कराना ज़रूरी नहीं फिर भी यह जांच आपके शरीर, कपड़ों या व्यक्तिगत सामान से किसी भी तरह के डीएनए या दूसरे सबूत को पकड़ सकती है. यह जांच किसी संक्रमण या अनचाहे गर्भधारण को रोकने या उसका पता लगाने में भी सहायक हो सकती है और जांच के बाद ज़रूरत पड़ने पर आप तुरंत इलाज करवा सकते/सकती हैं या प्रेगनेंसी (औरतों के मामले में) को रोकने के लिए गर्भनिरोधक खा सकती हैं.

अगर मैं मेडिकल जांच करावाती/करवाता हूं तो क्या मुझे ज़रूरी रूप से रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. हो सकता है मैं केवल इलाज कराना चाहूं?
अगर आप अट्ठारह साल के अधिक उम्र के हैं तो अपराध की सूचना दर्ज कराने के लिए आप कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं.

सबूत रखना: जांच करवाना आपको सबूतों को सुरक्षित रखने में मदद देगा और आपकी रज़ा मंदी से डॉक्टर उन्हें संभालकर रख सकते हैं. यदि आप बाद में अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला करते हैं तो डीएनए जैसे सबूत बहुत ज़रूरी साबित हो सकते हैं. अधिकतर स्वास्थ्य केंद्र, अपराध से जुड़े नमूनों और सबूतों को कुछ दिनों तक सुरक्षित रखते हैं. यदि आप बालिग या वयस्क हैं, तो आप डॉक्टर को बता सकते हैं कि आप पुलिस को अपराध की सूचना देना चाहते हैं या नहीं. यदि जांच के समय तक आपने पुलिस को सूचित करने और अपराध की रिपोर्ट दर्ज करवाने का फैसला नहीं किया है तो कृपया डॉक्टर से पूछें कि वे कितने दिनों तक नमूने रखेंगे. इसके अनुसार आप स्वास्थ्य केंद्र को अपना फैसला बता सकते हैं.

आपकी सहमति के बिना कोई भी आपको अपराध की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. अगर आप कानूनी तौर पर मामले को आगे बढ़ाना नहीं चाहते तब भी आपको इलाज कराने का पूरा अधिकार है. यदि अस्पताल के अधिकारी पुलिस से संपर्क करते हैं, तो आप पुलिस को सूचित कर सकते हैं कि आप शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहते.  

अंडर-18 यानी अट्ठारह साल से कम उम्र के लोगों के लिए: अगर आपकी उम्र अट्ठारह साल से कम है, तो POCSO कानून के तहत डॉक्टर लिए पुलिस को अपराध की सूचना देना ज़रूरी है. लेकिन किसी वजह से अगर पुलिस मौजूद नहीं है, तो भी डॉक्टर इलाज करने से मना नहीं कर सकते. इलाज शुरू किया जा सकता है और पुलिस को उसी समय सूचित किया जा सकता है. 

हालांकि मेडिकल जांच करवाना एक उचित कदम है, लेकिन ध्यान रहे कि जांच यदि यौन हमले या हिंसा के 72 घंटे यानी 3 दिन के बाद की जाए, तो जननांग यानी निजी अंगों से मिलने वाले सबूत जैसे कि शरीर के तरल पदार्थ खो जाते हैं. इसी तरह, यदि घटना के 72 घंटे या उससे अधिक समय बीतने के बाद डॉक्टरी जांच की जाती है तो शरीर पर मौजूद कई दूसरे सबूत भी खो सकते हैं.   

क्या मेडिकल जांच से पहले कुछ ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं या सावधानियां बरती जा सकती हैं जिससे सबूतों को सुरक्षित रखा जा सके.
डीएनए से जुड़े सबूत यौन हिंसा के 72 घंटे यानी तीन दिन के अंदर इकट्ठा किए जाने होंगे. तभी उनका सही और कारगर विश्लेषण हो पाएगा. हालांकि विपरीत परिस्थिति में आप 72 घंटे के बाद भी जांच करा सकते हैं, ताकि शरीर पर जो भी सबूत मौजूद हों वो इकट्ठा किए जा सकें.

मेडिकल जांच कराने से पहले ये काम न करें:

  •   नहाना या शरीर पर पानी का छिड़काव
  •   शौचालय का इस्तेमाल
  •   कपड़े बदलना (अगर कपड़े बदलना आवश्यक हो तो जिन कपड़ों में यौन हिंसा हुई उन्हें संभाल कर एक बैग में रखें  ताकि सबूत खत्म न हों)
  •   बालों को धोना या कंघे से संवारना
  •   निजी अंगों की सफाई जहां यौन हिंसा के सबूत मौजूद हो सकते हैं.

अगर आप मेडिकल जांच से पहले ऊपर दी गई लिस्ट में से कुछ या ज़्यादातर चीज़ें कर चुके हैं तो इस बारे में डॉक्टर को ज़रूर बताएं.

मैं नहा चुकी/ चुका हूं और घटना को 72 घंटे से ज़्यादा हो चुके हैं. क्या अब भी मेडिकल जांच कराई जा सकती है?
हां, आप मेडिकल जांच करा सकते हैं. ये पूरी तरह मुमकिन है कि कोई व्यक्ति 72 घंटे के भीतर मेडिकल जांच कराने की स्थिति में न हो. आप 72 घंटे बीत जाने के बाद या ऊपर दी गई सूची में से कोई काम करने के बाद भी मेडिकल परीक्षण करा सकते हैं. ये जांच डॉक्टर को आपका इलाज करने में मदद करेगी.

मेडिकल सुविधाएँ और मदद कहां से मिल सकती हैं.
आप किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल से डॉक्टरी मदद ले सकते हैं. सभी सरकारी अस्पतालों को यौन हिंसा के शिकार व्यक्ति का मुफ्त इलाज करने के निर्देश हैं. हालांकि प्राइवेट अस्पताल आपको सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दे सकते हैं, जो इस तरह के मामलों की जांच और कार्रवाई में ज़्यादा निपुण हैं. फिर भी आप इस बात पर ज़ोर दे सकते हैं कि आपकी जांच वहीं हो. अगर अस्पताल आपकी मेडिकल जांच और इलाज करने से मना कर दे तो कानून के तहत उसे दंडित किया जा सकता है.

जांच में कितना समय लगता है?
ध्यान रहे कि किसी भी तरह की यौन हिंसा एक मेडिको-लीगल इमरजेंसी है इसलिए ये ज़रूरी है कि डॉक्टर तुरंत आपका परीक्षण करें. इस प्रक्रिया में आपकी रज़ामंदी से लेकर, घटना से जुड़ी बातों का ब्यौरा और पुरानी बातें, शारीरिक जांच, परीक्षण के लिए नमूने इकट्ठा करना और डॉक्टर की ओर से की जाने वाली काग़ज़ी कार्रवाई शामिल है. इस पूरे काम में लगभग डेढ़ (1.5) घंटा लग सकता है, लेकिन अगर कोई और टेस्ट ज़रूरी हैं तो ज़्यादा समय भी लग सकता है. अगर पूरी प्रक्रिया के दौरान आपको कुछ समय का आराम चाहिए तो आप डॉक्टर से यह बात कह सकते हैं. अगर आपको थोड़ा वक्त चाहिए तो इसमें कुछ गलत नहीं और यह एक सामान्य बात है.    

क्या जांच के समय मेरा अकेला होना ज़रूरी है?
आपके कहने पर जांच के दौरान आपके साथ कोई रिश्तेदार (अगर संभव है तो आपके लिंग का ही कोई व्यक्ति) रह सकता है. अगर आप 12 साल या उससे बड़े हैं तो आप तय कर सकते हैं कि आप जांच वाले कमरे में अपने माता-पिता या किसी अभिभावक को ले जाना चाहते हैं या नहीं. हालांकि जांच के दौरान पुलिस की तरफ के किसी व्यक्ति को मौजूद रहने की इजाज़त नहीं है. जांच कराने के तीन तरीके हैं:

1. अगर आप खुद अस्पताल से सं पर्क करें

2. अगर आप पुलिस के पास जाएं और उनके कहने पर मेडिकल जांच हो

3. अगर कोर्ट मेडिकल जांच के आदेश दे किसी भी रूप में अदालत या पुलिस आपको मेडिकल जांच करवा ने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. ये जांच आपकी रज़ा मं दी से होनी चाहि ए (अगर आप वयस्क यानी बालिग हैं) या फि र इसके लिए आपके माता-पिता या अभिभाव क की रज़ा मंदी ज़रूरी है (अगर आप अट्ठारह साल से कम उम्र के हैं.)

* अगर मेडिकल जांच के लिए लाया गया व्यक्ति अट्ठारह साल से कम उम्र का है तो मामले की रिपोर्ट दर्ज कराना, डॉक्टर के लिए, कानूनी रूप से ज़रूरी है2.

नोट:

  • कानून के मुताबि क, डॉक्टर के लिए यह ज़रूरी है कि वो पुलिस को घटना के बारे में सूचि त करें. अगर आप बालिग हैं तो आपके पास एफ़आईआर दर्ज नहीं कराने का अधिकार है. ऐसी स्थिति में पूरी जानकारी दिए जाने के बाद एफ़आईआर न लिखवा ने की बात डॉक्टर द्वारा रिपोर्ट में दर्ज कर ली जाती है.
  • अगर आप बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज करना चाहते/चाहती हैं या पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद उनके कहने पर मेडिकल जांच के लिए आए हैं, तो जांच करने वा ला व्यक्ति अपनी रिपोर्ट में मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) की जानकारी और सं बं धित था ने की जानकारी दर्ज करेगा.

जांच या परीक्षण कौन करेगा?
मेडिकल जांच सरकारी अस्पताल के पंजीकृत यानी रजिस्टर्ड डॉक्टर करते हैं, लेकिन अगर आप किसी सरकारी अस्पताल या डॉक्टर को नहीं जानते तो एक पंजीकृत प्राइवेट डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं. सरकारी या निजी अस्पताल का कोई भी पंजीकृत डॉक्टर जांच कर सकता है और ये ज़रूरी नहीं कि ये जांच किसी प्रसूतीशास्त्री (गायनोकोलॉजिस्ट) के द्वारा ही कराई जाए. अगर आप महिला हैं, तो अस्पताल को पूरी कोशिश करनी चाहिए कि आपके लिए एक महिला डॉक्टर उपलब्ध करवाई जाए. अगर महिला डॉक्टर उपलब्ध नहीं है, तो महिला नर्स की मौजूदगी में पुरुष डॉक्टर जांच कर सकता है.

क्या जांच करवाने के लिए मुझे किसी कागज़ पर हस्ताक्षर या साइन करने होंगे या कोई बयान दर्ज करना होगा?
जांच से पहले आपको एक फॉर्म भरना होगा जिससे आपकी सहमति या रज़मंदी दर्ज की जा सके, इसमें लिखा होगा कि आप जांच करवाने के लिए तैयार हैं. इस फॉर्म पर नीचे लिखे लोगों के साइन ज़रूरी हैं: 

  •   आपके साइन (अगर आप 12 साल से अधिक उम्र के हैं)
  •   अभिभावक या माता-पिता के साइन अगर यौन हिंसा का शिकार व्यक्ति 12 साल से कम उम्र का है या फिर पीड़ित, मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण सहमति नहीं दे सकता.

सहमति-फॉर्म पर पीड़ित के (यदि वो सक्षम है), एक गवाह के (जैसे नर्स या अस्पताल का कोई कर्मचारी) और जांच करने वाले डॉक्टर के हस्ताक्षर होने चाहिए. ध्यान रहे पुलिस या पीड़ित के रिश्तेदार को गवाह नहीं माना जा सकता. आपको इस मेडिको-लीगल जांच रिपोर्ट की एक प्रति मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएगी. यह आपका अधिकार है.

क्या मैं डॉक्टर से जांच रोकने या कुछ टेस्ट न करने को कह सकता/सकती हूं?
हां, आप (या आपका कोई अभिभावक) किसी भी समय जांच या जांच के किसी तरीके को लेकर सहमति देने से इनकार कर सकते हैं. डॉक्टर उस जांच की ज़रूरत के बारे में आपको बताएँगे ताकि आप समझ सकें कि सबूत इकट्ठा करने के लिए ये क्यों ज़रूरी है (जो उस वक्त काम आ सकता है जब आप पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला करें) यह जांच आपके इलाज में भी मददगार साबित हो सकती है. हालांकि, आपके जांच से इनकार करने पर भी अस्पताल में आपका इलाज किया जाएगा.  

क्या मुझे ऐसा कोई कागज़ या प्रमाण मिलेगा जो ये बताए कि मेरी मेडिकल जांच की जा चुकी है?
हाँ, आपको "प्रोफॉर्मा" नाम का एक दस्तावेज़ दिया जाएगा. यह पूरी जांच रिपोर्ट है जिसमें जांच में जो पाया गया और उस पर डॉक्टर के विचार शामिल होंगे. इस दस्तावेज़ पर जांच करने वाले डॉक्टर और एक गवाह के साइन भी होंगे.

मैं मासिक धर्म से गुज़र रही हूं. क्या इसका जांच पर कोई असर पड़ेगा?
अगर जांच के दौरान आप महावारी या मासिक धर्म से गुज़र रही हैं तो महावारी खत्म होने के बाद एक और जांच की ज़रूरत होगी ताकि अंदरूनी चोट को ठीक ढंग से परखा और दर्ज किया जा सके. कुछ सबूत महावारी के चलते नष्ट हो सकते हैं. ये ज़रूरी है कि आप डॉक्टर को इस बात की जानकारी दें कि यौन हिंसा या मेडिकल जांच के दौरान आप महावारी से गुज़र रही थीं.

मैं खुद को पुरुष या स्त्री इन दो लिंगों में से एक नहीं मानता/मानती क्या तब भी मेरी मेडिकल जांच हो सकती है.
अगर आप ट्रांसजेंडर हैं या स्त्री और पुरुष दोनों लिंगों में से किसी एक को नहीं मानते तो आपके पास जांच के लिए महिला या पुरुष डॉक्टर को चुनने की छूट है. अगर महिला डॉक्टर उपलब्ध नहीं है तो महिला नर्स की मौजूदगी में पुरुष डॉक्टर द्वारा जांच की जा सकती है.

मेडिकल जांच के लिए मुझे क्या-क्या चाहिए?
मेडिकल जांच के लिए आपकी तरफ से किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है. अपने साथ एक जोड़ी कपड़े ले जाएं ताकि आपके पहने हुए कपड़े यदि सबूत के तौर पर जमा कर लिए जाएं तो आपको कपड़े बदलने की सुविधा हो. हालांकि आप अकेले भी मेडिकल जांच कराने जा सकते हैं लेकिन हमारी सलाह है कि किसी विश्वसनीय व्यक्ति को अपने साथ ले जाएं. किसी दोस्त या अपने का साथ होना आपको अस्पताल और उसकी ज़रूरी प्रक्रियाओं से गुज़रने में मदद देगा.  

क्या मेडिकल जांच के लिए मुझे पैसा देना होगा?
नहीं, सरकारी या निजी अस्पताल में आपको किसी तरह का भुगतान नहीं करना है. कानून के मुताबिक सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर यौन उत्पीड़न या यौन हिंसा के शिकार व्यक्ति का इलाज मुफ्त किया जाना चाहिए.  

क्या जांच के लिए मुझे अपनी पहचान साबित करनी होगी और इसके लिए ज़रूरी कागज़ात लेकर जाना होगा?
नहीं ये ज़रूरी नहीं है. अगर आप अट्ठारह साल से बड़ी उम्र के हैं तो अस्पताल आपका इलाज और आपकी देखभाल करेगा. अगर आपकी उम्र अट्ठारह साल से कम है या आप अपनी उम्र से कम दिखते हैं तो अपने साथ कोई सरकारी पहचान पत्र (पैन कार्ड, आधार कार्ड) ले जाना मददगार साबित होगा क्योंकि अस्पताल के कर्मचारियों को प्रोफॉर्मा या मेडिकल जांच रिपोर्ट में आपकी सही आयु दर्ज करने के लिए इसके ज़रूरत पड़ सकती है.

यौन हिंसा के किन परिणामों या प्रभावों के बारे में जानना ज़रूरी है?
यौन हिंसा का अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग असर पड़ सकता है. पीड़ितों की मेडिको-लीगल देखभाल से जुड़े निर्देशों के मुताबिक पीड़ित को निम्न दिक्कतें हो सकती हैं:

 
शारीरिक असर गुप्तांगों के अलावा दूसरी चोटें3 मानसिक स्वास्थ्य पर असर3 लंबे समय तक सामने आने वाले परिणाम3 
  •   असुरक्षित गर्भपात
  •   एसटीआई (STI) यानी सेक्स जनित संक्रमण जैसे एचआईवी या एड्स
  •   यौन रोक (संभोग या सहवास करने में दिक्कत)
  •   बांझपन यानी बच्चा पैदा करने की क्षमता में कमी
  •   पेड़ू में दर्द या पेड़ू में किसी किस्म का संक्रमण
  •   पेशाब के रास्ते में संक्रमण (यूटीआई)
  •   जननांग (निजी अंग जैसे योनि) में चोट जो आमतौर पर नितंबों के ज़रिए भी देखी जाती हैं.
  •   जननांग में मौजूद लैबिया मिनोरा, हाईमन और फॉसा नैविक्यूलर (औरतों के मामले में) में इस तरह की चोट आ सकती हैं;
    •  फटना
    • एकिमोसिस (रगड़ लगना)
    • खरोंच या कटना
    • त्वचा का लाल होना या सूजन
  •   खरोंच लगना या नील पड़ना
  •   त्वचा का कटना या फटना
  •   कपड़े या रस्सी से जबरन बांधे जाने के बाद एड़ी, कलाई या गर्दन पर पड़े निशान
  •   शरीर पर छाप जैसी चोट (हाथ के निशान, उंगलियों के निशान, बेल्ट से पड़े निशान, दांत-काटने के निशान)
  •   गुदा, मलाशयी या शरीर के दूसरे भागों में लगी चोटें
  •   रेप ट्रॉमा सिंड्रोम
  •   पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रैस डिस्ऑर्डर (पीटीएसडी)
  •   अवसाद यानी डिप्रेशन
  •   सोशल फोबिया यानी समाज का डर, लोगों के बीच असहज होना
  •   चिंता
  •   नशीले पदार्थों का सेवन या उनकी लत लग जाना
  •   आत्महत्या से जुड़े विचार या व्यवहार
  •   तेज़ या अक्सर होने वाला सिरदर्द
  •   थकान और शिथिलता
  •   नींद से जुड़ी गड़बड़ियाँ (बुरे सपने और/या पुरानी घटनाओं का याद आना)
  •   अक्सर जी मिचलाना (बीमार महसूस करना या उलटी का आभास)
  •   खान-पान से जुड़े विकार (भूख न लगना, बहुत ज़्यादा खाना, बहुत कम खाना)
  •   महावारी या मासिक धर्म के दौरान दर्द
  •   सेक्स से जुड़ी परेशानियां 

मेडिकल जांच के दौरान क्या होता है?

यह सेक्शन आपको मेडिकल जांच से जुड़े अलग-अलग पक्षों के बारे में बताएगा

1. साधारण जानकारी जुटाना, जांच के लिए सहमति, सबूत जुटाना और पुलिस की कार्रवाई

  1. डॉक्टर तारीख, समय, स्थान, नाम, उम्र, लिंग (पुरुष, महिला, या ट्रांसजेंडर), पता और फोन नंबर जैसी जानकारियाँ दर्ज करके प्रक्रिया की शुरूआत करेगा.
  2. डॉक्टर पुलिस में दर्ज किए गए केस से जुड़ी जानकारी, आपके साथ कौन आया है और उनका आपसे क्या संबंध है इसके बारे में पूछ सकते हैं.
  3. डॉक्टर आपकी पहचान के लिए शरीर पर मौजूद निशान (संख्या में दो) की पहचान करेगा. जैसे त्वचा पर मौजूद कोई तिल, कोई चोट का निशान या टैटू. ये निशान आमतौर पर शरीर के खुले भागों से देखे जा सकने वाले होते हैं.
  4. ऐसी स्थिति जिसमें पीड़ित की जान को ख़तरा हो, डॉक्टर आईपीसी4 की धारा 92 के अनुसार पीड़ित या उसके घरवालों की सहमति के बिना इलाज शुरू कर सकते हैं. यदि आपने पुलिस को सूचना देने के संबंध में सहमति नहीं दी है तो एक नोट यानी "पुलिस को सूचना देने से इनकार" मेडिको-लीगल जांच रिपोर्ट में दर्ज कर, पुलिस को सौंप दिया जाएगा.
  5. डॉक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको प्राथमिक इलाज मिले. धारा 357 (सी) के तहत, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले सभी अस्पतालों (निजी या सरकारी) के लिए ऐसे मामलों में प्राथमिक उपचार या इलाज करना ज़रूरी है.

2. मेडिकल हिस्ट्री का ब्यौरा और उसे दर्ज करना
आपके लिंग के आधार पर, डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की पिछली जानकारी या इतिहास को रिकॉर्ड करेगा. जिसमें (महिलाओं के लिए) मासिक धर्म, गर्भावस्था का पिछला इतिहास, गर्भपात आदि शामिल हैं. यह जानकारी सबूतों के नज़रिए से ज़रूरी नहीं इसलिए डॉक्टर इसके बारे में तभी पूछेंगे जब उन्हें इलाज के लिए इस जानकारी की ज़रूरत हो.

डॉक्टर, सेक्स जनित संक्रमणों जैसे एसटीआई (गोनोरिया, एचआईवी, एचबीवी, आदि) के बारे में भी पूछेंगे. डॉक्टर यह भी पूछेंगे कि क्या आपने प्रभावित क्षेत्रों में कोई सर्जरी/ऑपरेशन कराया है साथ ही क्या किसी किस्म का टीकाकारण हुआ है. यह जानकारी ज़रूरी है ये जानने के लिए कि यौन हिंसा के चलते आपको कोई स्वास्थ्य से जुड़ा ख़तरा तो नहीं होगा. अगर ऐसा कोई अंदेशा है तो डॉक्टर आपको इससे संबंधित इलाज करवाने को कहेंगे. इस जानकारी को जांच के दौरान और जांच में सामने आई चीज़ों को समझने के लिए ध्यान में रखना ज़रूरी है.

यदि आप नाबालिग हैं (अट्ठारह वर्ष से कम उम्र के) या कम उम्र के वयस्क हैं, लेकिन अपनी उम्र से कम दिखते हैं और आपके पास उम्र का प्रमाण नहीं है, तो डॉक्टर आपकी उम्र का अंदाज़ा लगाने के लिए भी शारीरिक जांच कर सकते हैं. यह कानूनी लिहाज़ से ज़रुरी है क्योंकि नाबालिग और अट्ठारह साल के ऊपर के लोगों के साथ हुए यौन अपराधों को लेकर कानूनी प्रावधान और कार्रवाई के तरीके अलग-अलग हैं. उम्र का अंदाज़ा लगाने को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों के लिए कृपया अंतिम भाग यानी एंड नोट में दिया गया मैनुअल देखें.

3. घटना से जुड़ी जानकारी और ब्यौरा

  1. डॉक्टर, घटना से जुड़ी पिछली जानकारी या इतिहास के बारे में पूछ सकते हैं. आप जो भी जानकारी देंगे इसे क़ानूनन सबूत के रूप में देखा जाएगा क्योंकि यह "एक तटस्थ और निष्पक्ष डॉक्टर द्वारा दर्ज किया गया है5."
  2. अपने साथ हुई यौन हिंसा से जुड़ी जानकारी जैसे जगह, समय, किस तरह की ज़बरदस्ती हुई और आपके शरीर को कहां छुआ गया, इसके बारे में जितना हो सके विस्तार से बताएं और सटीक जानकारी दैं.
  3. संभव हो तो डॉक्टर को ये भी बताएं कि घटना के बाद क्या आपने नहाने, जननांगों को धोने, कुल्ला करने, कुछ पीने या खाने (जो मुंह पर किए गए यौन हमले की नज़र से ज़रूरी है) का काम किया है. यह जानकारी ज़रूरी है क्योंकि ये सबूतों को प्रभावित कर सकती है. अगर आप कानूनी कार्रवाई करने का फैसला करते/करती हैं तो इन जानकारियों को आपकी गवाही की तरह भी इस्तेमाल किया जाएगा.
  4. अगर किसी भी समय आपको असहज महसूस हो या मन में कोई शंका हो तो आप डॉक्टर से सवाल पूछे जाने का कारण जान सकती/सकते हैं. आपको पूरी जानकारी देना डॉक्टर की ज़िम्मेदारी है.

4. सबूत जुटाना और चोटों की जांच

  1. आपके द्वारा दी गई जानकारी या घटना के ब्यौरे के आधार पर,  डॉक्टर केवल उसी चीज़ की जांच करेगा जो ज़रूरी और मामले से जुड़ी है.
  2. किसी भी समय यदि आप जांच को लेकर असहज हैं, तो आप डॉक्टर को रुकने के लिए कह सकते हैं.
  3. शरीर की सतह और कपड़ों पर मौजूद सबूत (कुछ परिस्थितियों में) 96 घंटों के बाद भी पाए जा सकते हैं.
  4. सबूत इकट्ठा करते समय, डॉक्टर आपको कागज़ की एक बड़ी शीट पर खड़े होने के लिए कह सकते हैं ताकि आपके शरीर पर मौजूद या बचे रह गए सबूत अगर झड़ें तो उन्हें इकट्ठा किया जा सके. 
  5. जनानंगों या गुप्तांगो (मुख, योनि या मल निकास की जगह) में मौजूद जेनेटिक सबूतों को 72 घंटों के भीतर ही इकट्ठा किया जा सकता है.
  6. डॉक्टर सभी शारीरिक चोटों की जांच करेगा और घटना के समय आपके द्वारा पहने गए कपड़ों को इकट्ठा करेगा.

5. दस्तावेज़ तैयार करना
इसके बाद डॉक्टर जांच से जुड़ी जानकारी और जांच में जो पाया गया उसका एक दस्तावेज़ तैयार करता है. इस जांच प्रोफॉर्मा की चार कॉपी यानी प्रतियाँ बनाई जाती हैं ताकि ये अस्पताल, पुलिस और आपके पास सुरक्षित रहें. यदि आप घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला करते हैं तो यह प्रोफॉर्मा सबूत के रूप में दर्ज किए जाने के लिए भेजा जाता है. आप केस फाइल करें या न करें लेकिन अपनी प्रति को सुरक्षित रूप से रखना ज़रूरी है. ये आपके काम आएगी, अगर आप भविष्य में अपने खिलाफ हुई हिंसा पर कार्रवाई चाहें.

6. विशेष इलाज
विशेष इलाज मेडिकल जांच के बाद किया जाता है. इसमें एसटीआई, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और गर्भावस्था से जुड़ी देखरेख के अलावा मनोवैज्ञानिक सहायता जैसे काउंसलिंग और थेरेपी शामिल हो सकते हैं, जिनकी आपको ज़रूरत हो.   

 


संदर्भ-निर्देश


2. मॉडल गाइडलाइन्स अंडर सेक्शन ३९ ऑफ़ द प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ओफ्फेंसेस एक्ट, २०१२| गाइड टू मैनदेटोरी रिपोर्टिंग, https://www.ncib.in/pdf/indian-penal-code.pdf
3. मैन्युअल फॉर मेडिकल एग्जामिनेशन ऑफ़ सेक्सुअल असाल्ट, मूल स्रोत: http://www.cehat.org/go/uploads/Publications/R83Manual.pdf
4. Indiभारतीय दंड संहिता १८६०. मूल स्रोत: https://www.ncib.in/pdf/indian-penal-code.pdf

5. गाइडलाइन्स फॉर मेडिको-लीगल केस फॉर विक्टिम्स ऑफ़ सेक्सुअल वायलेंस. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन जिनेवा , आइसबीएन  ९२४१५४६२८ x से लिया गया Guidelines for medico-legal care for victims of sexual violence. World Health Organization Geneva, ISBN 924154628 X